Motivational poems by Amitabh Bachchan
मुथि मुझे कुच सपने ले कर,
भर कर जीवन मुझे आशियान ।।
दिल मेरा है अरमान वाही ।।
कुच कर जाए, कुच कर जाए ...
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सूरज सा तेज न मुगमे,
दीपक सा जलता दीखोगे....
सूरज सा तेज न मुगमे,
दीपक सा जलता दीखोगे
अपनों ने रोशन कर दिया था,
तुम मुझसे कब तक रुकोगे.
तुम मुझसे कब तक रुकोगे ??
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माई उस माटी का वृक्षा नहीं, जिस्को नाडिय़ो ने सीचा है ! ( मैं उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सीचा है ! )
I am not the soil tree that sits in the rivers.
मैं उस माटी का वृक्षा नहीं, जिस्को नाडिय़ो ने सीचा है !
बंजर मति मैं पल कृ मािन , मृत्यु से जीवन खिचा है ।।
माई पाथर पे लिखि इबारत हू,
माई पाथर पे लिखि इबारत हू, शीशे से कब तक तोडोगे?
मित्ने वाला माई नाम नाही,
तम मुगको केबी कब तक रकोगे? तम मुगको केबी कब तक रकोगे?
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है जग मुझे जितने ज़ुल्म नहीं
Utne sehne ki taqat hai ( उतने सहने की ताक़त है )
है जग मुझे जितने ज़ुल्म नहीं
Utne sehne ki taqat hai ( उतने सहने की ताक़त है )
तानो की शूर मैं भई रेखर, मुघे साचे कहे अदत है ।।
माई सागर से अधिक गहरा भूरा, माई सागर से अधिक गहरा भूरा
तम कतेन कनकद फकोगे?
चुन चुन के आँगन बड़हंगा माई, तमु मुग केब तरकोगे? तमु मुग केब तरकोगे?
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झूक झूक करि सीधे खड़े हुवा
आब फेर झुकने का शोका नहीं!!
झूक झूक करि सीधे खड़े हुवा
आब फेर झुकने का शोका नहीं!!
आपन ही हाथो राचा स्वयंवर तुमसे मिटे का खौफ नहीं ।।
तम हलातो की भट्टी मैं, जग जाब द्वारा मुगको झोकोगे ... तब तक मैं सोना बनूंगा माई!!
तुम मुझको कब तक रकोगे,?
तुम मुझको कब तक रकोगे?
- अमिताभ बच्चन
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